साथियो,
आदिवासी देश के मूलनिवासी है और आदिवासी का जीवन ही जल, जंगल और जमीन से चलता है. आदिवासियो की जो सभ्यता और संस्कृति है वो जल, जंगल और जमीन से जुडी है. जल, जंगल और जमीन नही तो आदिवासियो की संस्कृति नही. आज पूरे देश में आदिवासी लोग रहते है. जल, जंगल, जमीन और खनिज को आदिवासी पहले से बचाता आया है. जहा आदिवासी है वहां जल जंगल जमीन है लेकिन पूँजीवादी लोग और सरकार जल जगल जमीन और खनिज खत्म कर रही हें.
आज पूरे देश में विकास के नाम पर जल, जंगल, जमीन और खनिज को खत्म करने का काम चालू है जैसे डैम, रोड, फैक्ट्रीज, SEZ आदि बनाये जा रहे है. गुजरात के आदिवासी क्षेत्रो में डेैम बाधे गये जैसे नर्मदा डेैम, करजन डेैम, उकाई डेैम, सुखी डेैम, कडाना डेैम आदि. लेकिन आदिवासी को पानी नही मिलता है. इन क्षेत्रो में भारी संख्या में आदिवासियों का विस्थापन हुआ है. विस्थापित आज अपने आदिवासी समाज से दूर हो गये है और उनकी संस्कृति खतरे में है. उनके अधिकारों का हनन हुआ है. आज लोग नर्मदा और करजन डेैम को देखने आते है और उन्हें बहुत अच्छा लगता होगा लेकिन, इस डेैम में हजारो आदिवासियों के आसू बह रहे हैं ....
मै सभी आदिवासियो से अपील करता हूँ कि अपने अधिकारो के प्रति जागरूक हों और अपना अधिकार छीन लो...
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Great..
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